हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल का बड़ा बयान: "हिमाचल को ऐशगाह न बनाएं"
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने मस्जिद विवाद के बीच एक कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बाहरी लोग हिमाचल को 'ऐशगाह' न बनाएं और प्रशासन को बाहरी लोगों के पहचान पत्रों की सख्त जांच करनी चाहिए। राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि अगर किसी व्यक्ति का एक ही तिथि पर आधार कार्ड बन गया है, तो उसकी पूरी गंभीरता से जांच की जानी चाहिए। यह बयान उन्होंने शिमला जिले के कुफरी में आयोजित प्रादेशिक सेना के एक कार्यक्रम के दौरान दिया।
हिमाचल की पवित्रता हिमाचलियों से है
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हिमाचल की पवित्रता यहाँ के हिमाचलियों से है और इसे बरकरार रखने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। उनका मानना है कि प्रशासन इस दिशा में हरसंभव प्रयास कर रहा है, लेकिन इसके लिए और अधिक सतर्कता और कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
नशे के बढ़ते प्रभाव पर चिंता
राज्यपाल ने हिमाचल में बढ़ रहे नशे के प्रकोप पर भी अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि नशे का बढ़ता प्रभाव हिमाचल की युवा पीढ़ी को प्रभावित कर रहा है, और इस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने फिर से दोहराया कि हिमाचल हिमाचलियों का है और इसकी सुरक्षा और पवित्रता के लिए सभी को सचेत रहना होगा।
मस्जिद विवाद और आधार कार्ड की जांच
मस्जिद विवाद के बाद, हिमाचल प्रदेश के विभिन्न शहरों में बाहर से आने वाले लोगों के आधार कार्डों की जांच की जा रही है। एक बड़ी संख्या में आधार कार्डों की जन्मतिथि एक ही दिन यानी 1 जनवरी पाई गई है, जिससे स्थानीय लोगों में संदेह और चिंता बढ़ी है, खासतौर पर एक समुदाय विशेष को लेकर। इस मसले ने राज्यभर में व्यापक रूप से चर्चा पैदा की है।
गुम्मा में हुई थी जांच
शिमला जिले के कोटखाई पुलिस थाने के अंतर्गत गुम्मा बाजार में एक ऐसी ही घटना में, 88 लोगों के आधार कार्ड की जांच की गई, जिसमें से 46 आधार कार्डों में 1 जनवरी की जन्मतिथि पाई गई। हालांकि, जांच के बाद सभी आधार कार्ड सही पाए गए। फिर भी, यह मसला प्रदेशभर में उठाया जा रहा है, और समुदाय विशेष के लोगों के आधार कार्डों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
राज्य के मंत्री भी उठा चुके हैं मुद्दा
इससे पहले, विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान राज्य के कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी अवैध घुसपैठियों के मामले को सदन में उठाया था। उन्होंने बाहरी लोगों की पहचान को सुनिश्चित करने की मांग की थी और यहां तक कहा था कि कुछ घुसपैठिए, विशेषकर बांग्लादेशी, प्रदेश में दाखिल हो गए हैं। इन बयानों ने पूरे प्रदेश में बाहरी लोगों के पंजीकरण और पहचान को लेकर एक व्यापक बहस शुरू कर दी है, और विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल का यह बयान हिमाचल प्रदेश की सुरक्षा और सामाजिक संरचना के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। प्रशासन और जनता को मिलकर बाहरी लोगों की पहचान सुनिश्चित करनी होगी ताकि राज्य की पवित्रता और सुरक्षा बनी रहे।
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