हरियाणा की मां-बेटी की कहानी बनी महिला सशक्तिकरण की मिसाल, संयुक्त राष्ट्र करेगा सम्मानित
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तेजस्वनी अपनी मां हर्ष शर्मा के साथ |
मां की ममता से मिली नई पहचान
मां हर्ष शर्मा ने अपनी बेटी तेजस्वनी को कभी खुद से अलग नहीं किया। जन्म के बाद एक चिकित्सा जटिलता के कारण तेजस्वनी 90% विकलांग हो गईं। अगले नौ साल तक वह बिस्तर तक सीमित रहीं। इस कठिन समय में, हर्ष ने न केवल अपनी बेटी की देखभाल की, बल्कि उसके कानों तक भजनों की मिठास पहुंचाई।
तेजस्वनी ने बिना देखे, लिखे या पढ़े, अपनी मां के भजनों को सुन-सुनकर गाना सीखा। आज वह एक प्रसिद्ध भजन गायिका हैं और उनके इस सफर को उनकी मां के अमूल्य योगदान के बिना पूरा करना असंभव था।
संयुक्त राष्ट्र से मिलेगा सम्मान
महिला दिवस के अवसर पर हर्ष शर्मा को संयुक्त राष्ट्र द्वारा सम्मानित किया जाएगा। यह पहली बार होगा जब किसी भारतीय महिला को अपनी विकलांग बेटी को सशक्त बनाने के लिए विदेश में ऐसा प्रतिष्ठित सम्मान मिलेगा। तेजस्वनी को भी इस अवसर पर भजन प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा। यह हरियाणा और पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है।
प्रधानमंत्री की सोच का आदर्श उदाहरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महिला सशक्तिकरण और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों की यह कहानी आदर्श मिसाल है। तेजस्वनी को पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा रोल मॉडल ऑफ इंडिया का पुरस्कार भी मिल चुका है।
महिला सशक्तिकरण की ओर हरियाणा का कदम
हरियाणा सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए बीमा सखी जैसी योजनाएं चला रही है। तेजस्वनी शर्मा को रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत करके अन्य विकलांग बच्चों को प्रेरित किया जा सकता है।
निष्कर्ष
हर्ष शर्मा और तेजस्वनी की कहानी इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और मां की ममता हर मुश्किल को पार कर सकती है। यह मां-बेटी की जोड़ी देश और दुनिया के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
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