हिमाचल प्रदेश में स्ट्रीट वेंडर्स पर कसेगा शिकंजा, अवैध कारोबार पर होगी सख्त कार्रवाई

हिमाचल प्रदेश में स्ट्रीट वेंडर्स पर कसेगा शिकंजा, अवैध कारोबार पर होगी सख्त कार्रवाई


हिमाचल प्रदेश में बिना पंजीकरण के कारोबार करने वाले स्ट्रीट वेंडर्स पर सख्त कार्रवाई की तैयारी है। प्रदेश में स्थानीय और प्रवासी वेंडर्स दोनों पर शिकंजा कसने के लिए आज शिमला में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया जा रहा है। इस बैठक का नेतृत्व विधानसभा अध्यक्ष द्वारा गठित एक विशेष कमेटी करेगी, जो स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी पर चर्चा करेगी और राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपेगी।

इस कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सड़कों और गलियों में अस्थाई दुकानों के लिए स्थान चिन्हित किए जाएंगे और वेंडर्स को लाइसेंस भी इसी के तहत दिए जाएंगे। दरअसल, विधानसभा के मानसून सत्र में प्रवासियों के पंजीकरण का मुद्दा प्रमुखता से उठा था, जिसमें शिमला में बाहरी लोगों के सत्यापन और पंजीकरण की मांग की गई थी।


मस्जिद विवाद और वेंडर पॉलिसी पर विवाद

मस्जिद विवाद के बाद प्रदेश भर में बाहरी वेंडर्स की पहचान और पंजीकरण को लेकर प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह के बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया, जब उन्होंने उत्तर प्रदेश की तर्ज पर हिमाचल में दुकानदारों के लिए आईकार्ड अनिवार्य करने की बात कही। हालांकि, प्रदेश सरकार ने उनके बयान से दूरी बना ली।


वेंडर्स पॉलिसी लागू करने की तैयारी

प्रदेश में पहले से ही 2016 में लागू स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत पंजीकरण की व्यवस्था है। इसी कानून के तहत अब बिना लाइसेंस के काम करने वाले तहबाजारियों पर सख्ती की जाएगी। प्रमुख कस्बों में अवैध तहबाजारी एक गंभीर समस्या बन चुके हैं, जिससे सड़कों पर जाम और राहगीरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आगामी त्योहारों के मद्देनज़र नई पॉलिसी लागू होने के बाद, केवल लाइसेंसधारक वेंडर्स को ही दुकान लगाने की अनुमति मिलेगी, जिससे अव्यवस्था पर अंकुश लगेगा।


कमेटी के सदस्य

इस कमेटी की अध्यक्षता उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान कर रहे हैं, और इसके अन्य सदस्य मंत्री अनिरुद्ध सिंह, विक्रमादित्य सिंह, भाजपा विधायक अनिल शर्मा, सतपाल सिंह सत्ती, रणधीर शर्मा और कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा हैं।

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